अब निजी स्कूल कक्षा एक से आठवीं में प्रवेश के लिए बच्चों की परीक्षा नहीं ले सकेंगे
अब शिक्षा विभाग की जगह शिक्षा मंत्रालय निजी स्कूलों पर भी नजर रखेगा। किसी भी निजी स्कूल में मनमानी करने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसको लेकर शिक्षा मंत्रालय ने आदेश जारी कर दिया है। इसके तहत निजी स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया में परीक्षा प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। निजी स्कूलों को पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों को सीधे प्रवेश देना होगा।
न ही बच्चों के माता-पिता से पूछताछ की जाएगी। कई बार प्राइवेट स्कूल इन बहाने बच्चों को दाखिला देने से मना कर देते हैं। इससे बच्चों को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है।
कई बार निजी स्कूल प्रवेश प्रक्रिया में बच्चों की परीक्षा लेते हैं। वे यह कहकर नामांकन नहीं करते हैं कि परीक्षा में अंक कम हैं या अनुत्तीर्ण हैं। इस वजह से बच्चे को प्रवेश से वंचित कर दिया जाता है। निजी स्कूल भी बच्चों के माता-पिता का साक्षात्कार लेते हैं कि आप अंग्रेजी जानते हैं या नहीं और घर में क्या माहौल है।
ऐसी कई प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद बच्चों को भर्ती किया जाता है। वहीं, जरूरतमंद बच्चों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। आरटीई में प्रवेश के लिए बच्चे या अभिभावक से कोई शुल्क या भुगतान नहीं लिया जाएगा, क्योंकि यह नियमों का उल्लंघन है।
भरने के लिए आवश्यक सीटें:
आरटीई के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी रिजर्व है। इन सीटों को भरना होगा। प्रवेश सीधे आवेदन के माध्यम से किया जाना है। लेकिन वे परीक्षण और अन्य प्रक्रिया के माध्यम से बच्चों को प्रवेश नहीं देते हैं। इसलिए सीटें खाली रहती हैं।